वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं, मूल रूप से केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट में भारी भरकम घोषणा की है, जिसे सुरक्षित रखने के लिए दिनांक 1 फरवरी 2024 को वोट ऑन पेश किया गया है। लोकसभा चुनाव के नतीजे वर्ष 2024-25 के लिए एक बार पुनः आरंभ वित्तीय वर्ष 2020-25 के लिए पूर्ण बजट बजट वित्त मंत्री द्वारा लोकसभा में पेश किया जाएगा। इस तरह से किया गया है परंपरा का जीवंत रूप। वित्तीय वर्ष 2024-25 वर्ष के लिए प्रस्तावित बजट का मुख्य उद्देश्य यह है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में वित्तीय वर्ष 2024-25 को कम करने का प्रयास किया गया है।

वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केंद्रीय बजट में 7.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित किया गया था। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए पेश बजट में 10 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और अब वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए पेश किये गये बजट में 11.11 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड रखा गया है। ।। यदि किसी देश में आय के साधन की मात्रा बढ़ती है तो उस देश के लिए आय के साधन भी बढ़ रहे हैं। यह सच है भारत के मामले में भी सामने आ रहा है। पिछले दो वर्षों के दौरान भारी भरकम राशि के निवेश व्यय के कारण अब देश की सकल आय में भी वृद्धि हुई है। न केवल अधिमान्य कर, वस्तु एवं सेवा कर, की औसत मासिक आय 1.66 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक की हो गई है बल्कि प्रत्यक्ष करों में भी 25 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि दर्ज हो रही है। जिससे केंद्र सरकार को संगठित व्यय को बढ़ाने के साथ ही वित्तीय पोर्टफोलियो को नियंत्रित करने में भी सफलता मिल रही है।

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वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान प्रत्यक्ष एवं वर्ष करों से 23.24 लाख करोड़ रुपये की कुल आय का अनुमान लगाया गया है और कुल खर्च 44.90 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्तीय घाटा, सकल घरेलू उत्पाद का, 5.8 प्रतिशत स्थिरता का अनुमान लगाया गया है। है. वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान प्रत्यक्ष एवं वर्ष करों से कुल आय उछाल 30.80 लाख करोड़ रुपये रहने की दुर्लभता है तो कुल खर्च 47.66 लाख करोड़ रुपये रहने की दुर्लभता है। इस प्रकार वित्तीय घाटा, सकल घरेलू उत्पाद का, 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय सोसायटी को वित्तीय वर्ष 2025-26 में 4.5 प्रतिशत तक नीचे लाने का प्रयास किया जा रहा है। वित्त घाटा कम का सीधा सा अर्थ यह है कि केंद्र सरकार को बाजार से कम कर्ज लेना जरूरी है क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा निवेश में शामिल होने से मोटर वाहन आय के साधन बढ़ रहे हैं।

इससे भारतीय बैंकों को निजी क्षेत्र को ऋण उपलब्ध होगा, अधिक राशि उपलब्ध होगी। वैसे भी, पिछले दो वर्षों के दौरान केंद्र सरकार द्वारा दिए गए भारी भारकम एस्टगैट खर्च के कारण देश के आर्थिक चक्र में जो गति आई है, उसके कारण दल की मांग में वृद्धि दर्ज की गई है और विभिन्न विनिर्माण इकाइयां अपनी उत्पादन क्षमता का 75 प्रतिशत से अधिक उपयोग करने लगी हैं। इस स्थिति के बाद सामान्यतः संगठनात्मक इकाइयों के लिए अपनी उत्पादन क्षमता में वृद्धि करना आवश्यक है। मूलतः अब उद्योग क्षेत्र को अधिक स्थापना की आवश्यकता होगी जो बैंकों से ऋण लेकर पूरा किया जा सकता है। मूलतः केंद्र सरकार अपने फॉर्म का उपयोग करते हुए अभी यह प्रयास कर रही है कि उसे स्वयं कम ऋण की आवश्यकता हो ताकि यह राशि उद्योग क्षेत्र को ऋण के रूप में उपलब्ध हो सके। इस प्रकार, केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने इस बजट के माध्यम से ऋणगत व्यय को बढ़ाने के लिए फिर भी वित्त पोषण को कम करने का प्रयास किया है।

पिछले 10 वर्षों के दौरान भारत के सरकारी वित्तीय क्षेत्र में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं। केंद्र सरकार का प्रयास है कि भारत में सर्वसमावेशी, सर्वांगीण एवं सर्वस्पर्शी विकास हो। देश में भोजन की चिंता दूर हो गई है। ग्रामीण क्षेत्र के प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से लगभग एक करोड़ नए मकान बनाए गए हैं, हर घर नल योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र से घर तक पीने का पानी उपलब्ध कराया गया है और मातृशक्ति को कुकिंग गैस उपलब्ध कराई गई है। 50 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं, ताकि केंद्र और राज्य भंडार द्वारा अलग-अलग तरह की छूट का लाभ उठाया जा सके, सीधे इन बैंकों के माध्यम से हितग्राहियों के हाथों में। 80 करोड़ नागरिकों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत 11.8 करोड़ किसानों को 6,000 रुपये सम्मान निधि सीधे उनके खाते में जमा की जा रही है। 4 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ मिल रहा है। किसानों की आय को न्यूनतम समर्थन मूल्य के माध्यम से बढ़ाने का प्रयास किया गया है। कुल मिलाकर, पिछले 10 वर्षों के दौरान 25 करोड़ नागरिकों को गरीबी रेखा के ऊपर सफलता मिली है। इससे अब भारतीय नागरिकों की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं।

 

मूल रूप से नागरिकों की निजी कंपनियों ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए प्रस्तावित बजट में घोषणा की है कि एक करोड़ नागरिकों को, जो पेंसिल का उपयोग करेंगे, 300 यूनिट बिजली मुफ्त में प्रस्ताव की जाएगी ताकि भारत में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके और पेट्रोल, डीजल एवं डीजल का उपयोग कम किया जा सके। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अगले 5 वर्षों में 2 करोड़ अतिरिक्त नए मकान बनाए जाएंगे ताकि देश के हर परिवार को अपनी छत उपलब्ध हो सके। आगे आने वाले कुछ वर्षों में लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य 9 करोड़ महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है ताकि मातृशक्ति रोजगार स्थापित किया जा सके। देश में अभी तक एक करोड़ महिलाओं को स्वयं सहायता समूह के माध्यम से लाखपति सहयोगियों द्वारा भुगतान किया जा चुका है। इस लक्ष्य को अब 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ किया जा रहा है।

देश में अधोसंरचना को विकसित करने के उद्देश्य से रेल्वे के तीन नए कॉरिडोर बनाने का भी प्रस्ताव रखा गया है। प्रथम, ऊर्जा, खनिज एवं निकटतम गलियारा। द्वितीय, पत्तन गलियारा एवं तृतीय अधिक ट्रैफिक वाला गलियारा। यह तीन नियुक्तियां पूर्व में ही विकसित की जा रही हैं। इन तीन गलियों के विकसित होने के बाद देश में रेल्वे की सुविधाओं में और अधिक सुधार होगा। इसी प्रकार के देशों में हवाई अड्डों की संख्या भी 149 हो गई है और अब कई 2 और 3 टायर शहरों में भी हवाई अड्डों का निर्माण किया जा रहा है। भारत में कार्य कर रही विभिन्न कंपनी कंपनियों द्वारा 1000 नए ब्रांड्स के रिकॉर्ड्स का ऑर्डर दिया जा रहा है। कुल मिलाकर पूरे देश में अधोसंरचना के क्षेत्र में सड़क, रेल, हवाई मार्ग एवं जल मार्ग सहित, अतुलनीय सुधार हुआ है।

केंद्र सरकार रिवाइवल फ्लैश के स्थान पर देश में स्थापत्य संरचनाओं को विकसित करने पर अधिक जोर दे रही है। इस देश की सकल आय में वृद्धि हो रही है और युवा, महिला, किसान और गरीब वर्ग के हित में नई ऊर्जा लाना आसान हो रहा है। देश के सभी परिवारों के लिए अपनी छत, जल, शिक्षा, स्वास्थ्य की व्यवस्था सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है। इस देश के नागरिकों में विश्वास का जन्म हो रहा है।

 

FAQ

क्या इस बजट से आम आदमी को फायदा होगा?

हां, इस बजट में कई योजनाएं शामिल हैं जो आम आदमी को फायदा पहुंचाएंगी, जैसे कि मुफ्त बिजली, नए घरों का निर्माण, और रोजगार सृजन।

क्या इस बजट से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी?

सरकार का मानना ​​है कि यह बजट अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।

क्या इस बजट से वित्तीय घाटा कम होगा?

सरकार का लक्ष्य इस बजट के माध्यम से वित्तीय घाटे को 5.1% तक कम करना है।

क्या इस बजट में करों में वृद्धि होगी?

हां, इस बजट में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में वृद्धि की गई है।

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