शेयर मार्केट (स्टॉक मार्केट) के रेगन्यूजलेटर सेबी ने एक बड़ा कदम उठाया है, जिसके तहत नेकेड शॉर्ट सेलिंग (नेकेड शॉर्ट सेलिंग) पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया है। हालाँकि सेबी ने स्ट्रैटेजी इन्डवेर्स (रिटेल इन्वेस्टर्स) में हर क्लास के निवेश को भी शॉर्ट सेलिंग की अनुमति दे दी है, लेकिन उन्होंने नेकेड शॉर्ट सेलिंग नहीं कर पाएंगे। सेबी की ओर से यह फैसला हिंडनबर्ग विवाद (हिंडनबर्ग केस) के एक साल बाद लिया गया और नेकेड शॉर्ट सेलिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

सेबी ने कहा कि सभी श्रेणी के निवेशक फ्यूचर-ऑप्शन (भविष्य और विकल्प) में स्टॉक ट्रेडिंग (स्टॉक ट्रेडिंग) के लिए शॉर्ट सेलिंग भी उपलब्ध करा सकते हैं। यहां तक ​​की क्वालिटी इनवेअर स्टार्स को भी इसका विवरण दिया गया है। शॉर्ट सेलिंग फ्रेमवर्क (स्टॉक सेलिंग फ्रेमवर्क) को लेकर सेबी ने अपने बयान में कहा कि भारतीय टेक्नालॉजी मार्केट में शॉर्ट-सेलिंग की शुरुआत नहीं होगी। सभी विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए सेटलमेंट के दौरान हर हाल में पूरा करना होगा।

Read More: टाटा कंपनी का यह शेयर न बेचें; खरीदने का आखिरी मौका, ₹1490, लक्ष्य ₹2109

सबसे पहले ही देना होल डिक्लेरेशन

सेबी ने कहा कि अगर कोई निवेशक फ्यूचर-ऑप्शन ट्रेडिंग (फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग) कर रहा है और वह किसी कंपनी को स्टॉक बेचता है, तो उसे स्टॉक एक्सचेंज पर स्टॉक बेचना होगा या नहीं और यह जानकारी स्टॉक में नहीं होगी। अध्ययन के दौरान ही इंजीनियर होगी। इस मामले में स्ट्रैटिजी इन्डवे स्टार्स को दिन की ट्रेडिंग खाति के बाद ट्रांजे फ़्रैक्शन वाले दिन का खुलासा करना होगा।

डे ट्रेडिंग की अनुमति नहीं

सेबी ने अपने बयान में यह भी कहा कि कोई भी सांविधिक निवेशक दिवस पर ट्रेडिंग नहीं कर सकेगा। ऐसे एंटरप्राइज़ को ऑर्डर ट्रांजेक्शन से पहले ही डिस्ट्रीब्यूशन देना होगा और शॉर्ट सेलिंग के बारे में बताया जाएगा। इसके बाद ही इनर ऑर्डर ए अर्थशास्त्रीजीक्यूट होगा।

शॉर्ट सेलिंग क्या होती है?

सामान्‍य शॉर्ट सेलिंग में व्‍यापारियों को उन मार्टॉक की बिक्री के लिए सामान मिलता है, जो ट्रेडिंग के समय में मौजूद नहीं होता है। एक सामान्‍य शॉर्ट सेलिंग में इंस्‍टायर पहले सिक्‍यमोरिटिटी से उधार लेता है और एमार्टॉक को सेल करता है। वहीं नेकेड शॉर्ट सेलिंग में ऐसा नहीं होता है। नेकेड शॉर्ट सेलिंग में व्यापारी बिना उधार के ही व्यापार करता है। इसका मतलब यह है कि उस व्यापारी के पास कोई सिक्योरिटी नहीं होती है, लेकिन वह उन स्टॉक को बेचता है, जो वह कभी भी बिकता ही नहीं थी।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *