मोबाइल, कंप्यूटर, टीवी, कार, एसी और फ़र्ज़ी… वर्तमान में शायद ही कोई ऐसी इलेक्ट्रॉनिक मशीन हो जिसमें सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल नहीं हो रहा हो। यही कारण है कि दुनिया में इसकी सबसे बड़ी आबादी बनी हुई है। सेमीकंडक्टर की कमी होती है, हाय तोबा मच होती है। इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्रीज़ के डैम स्काई रिजर्व्स हैं। चीन, हांगकांग, ताइवान, दक्षिण कोरिया, ये वो देश हैं जो अमेरिका को सेमीकंडक्टर पहुंचा रहे हैं। अब भारत भी सेमीकंडक्टर का हब बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

पीएम मोदी ने रविवार को 1.25 लाख करोड़ की लागत वाली तीन सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की नींव रखी। इनमें से एक असम के मोरीगांव और दो गुजरात के धोलेरा और सांड में स्थापित की गई। इससे भारत सेमीकंडक्टर की मैन्युफैक्चरिंग में ग्लोबल हब बन जाएगा। खास बात यह है कि अगले 100 दिनों में इन थ्री फैसिलिटीज में मैन्युफैक्चरिंग का काम शुरू हो जाएगा। अब यह भी जान लें कि सेमीकंडक्टर क्या है, यह काम कैसे करता है, जीवन कैसे बदल रहा है और भारत को इसकी आवश्यकता क्यों है?

सेमीकंडक्टर क्या है?
यह एक तरह की चिप है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक इलेक्ट्रॉनिक मार्केट में किया जाता है। आसान भाषा में कोलोराडो तो यह टॉयलेट और इंसुलेटर के बीच का सीक्वल कहा जा सकता है। जो करंट को नियंत्रित करता है. सेमीकंडक्टर एसोसिएशन एसोसिएशन के अनुसार, ये कई तरह से बनाए जा सकते हैं। जैसे- सिलिकॉन, जर्मेनियम, गैलियम आर्सेनाइड या फिर कैडमियम सेलेनाइड।

सेमीकंडक्टर ने कैसे बदली दी जिंदगी?
पिछले 50 प्राचीन काल का इतिहास देखें तो इलेक्ट्रॉनिक हथियार छोटे बने हैं, स्मार्ट बने हैं और उद्यमों में टुकड़े हुए हैं। इसमें सेमीकंडक्टर का रो अहम है। कार के इंजनों को कंट्रोल करने से लेकर एक्सरे मशीन, एम रिस्ट्रिक्ट एस्ट्रियल, सोलर रोबोट्स तक में इसका इस्तेमाल किया जाता है। प्रयुक्त एप्लायंसेस जैसे-फ्रिज, टीवी, के कंप्यूटर, एसी सहित घर में कई नीम के सेमीकंडक्टर का बहुत अहम रोल है। आसान शब्दों में कहें तो एक छोटी सी चीज़ ने इलेक्ट्रॉनिक इलेक्ट्रॉनिक की दुनिया में क्रांति ला दी है।

फ़र्ज़ी-वॉशिंग हो या मोबाइल इस समय के साथ स्मार्ट हो गए हैं। अब एक क्लिक में हेल्थ रिपोर्ट सामने आ रही है। रोबोट सर्जरी कर रहे हैं. टीवी सिर्फ टीवीभर नहीं रहा। इन सभी परिवर्तनों में सेमीकंडक्टर किसी टर्निंग पॉइंट से कम नहीं हो रहा है।

यह बादशाह कौन है?
वर्तमान चीन में सेमीकंडक्टर का बादशाह कहा जाता है। यहां की अर्थव्यवस्था में बहुत अहम रोल है. चीन का सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर का निर्माण होता है। इसके बाद ताइवान, हांगकांग और दक्षिण कोरिया जैसे देश आते हैं। ये देश अमेरिका को सेमीकंडक्टर सप्लॉय करते हैं।

वर्तमान में भारत में 100 प्रतिशत सेमीकंडक्टर की आवश्यकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत हर साल 1.90 लाख करोड़ रुपये के सेमीकंडक्टर विदेश से मांगता है। यह राशि चीन का एक बड़ा हिस्सा है। अब भारत अपने ही देश सेमीकंडक्टर को असेंबल करना चाहता है। इससे चीन और अन्य उद्योग पर लाभ घटेगी।

चिप इंडस्ट्री का हब कैसे बनेगा भारत?
चिप इंडस्ट्री में आगे बढ़ने के लिए भारत ने पहले ही कई कदम उठाए हैं। रविवार को मोदी ने देश को तीन सेमीकंडक्टर यूनिट का तोहफा दिया है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रोजेक्ट का अनावरण किया गया। साल 2021 में भारत ने देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 10 मिलियन डॉलर के प्रोडक्शन लिंक्ड प्रमोशन (पीएलआई) योजना की शुरुआत की थी।

इलेक्ट्रॉनिक एंड इन्फॉर्मेशन एसोसिएट मिनिस्ट्री (एमईआईटीवाई) ने 2021 में सेमीकंडक्टर डिजाइन के लिए 20 घरेलू इंजीनियरों को बढ़ावा देने और उन्हें अगले 5 साल में 1500 करोड़ रुपए से ज्यादा के बिजनेस के लिए डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) योजना शुरू की थी। अब जो भी योजना चल रही है, उसके लिए सेमीकंडक्टर देश की अर्थ व्यवस्था के लिए टर्निंग प्वाइंट बन सकता है। इस उद्योग को प्रमाणित किया जा सकता है।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *