वित्त वर्ष 2023-24 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के बारे में विभिन्न वित्तीय संस्थानों के अनुमान भिन्न-भिन्न हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक का अनुमान है कि भारत के GDP में इस वर्ष 6.3 प्रतिशत की वृद्धि होगी। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इकरा का अनुमान है कि यह 6.5 प्रतिशत होगी, एशियाई विकास बैंक और बार्कलेस और ग्रेटर वॉटर कूपर्स का अनुमान है कि यह 6.7 प्रतिशत होगी, और डेलाइट इंडिया का अनुमान है कि यह 7 प्रतिशत रहने की संभावना है।

भारतीय वित्तीय संस्थानों के अनुमान:

भारतीय वित्तीय संस्थान भारत के GDP के बारे में लगातार अपने अनुमानों को सुधारते हुए इसे पूरे वित्तीय वर्ष के लिए 7 प्रतिशत से अधिक बता रहे हैं। अनुसंधान विभाग, भारतीय स्टेट बैंक द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 में भारत के GDP में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि रहने का अनुमान लगाया गया है, भारतीय रिजर्व बैंक ने भी अपने अनुमान में वृद्धि करते हुए इसे 7 प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान लगाया है और अभी हाल ही में राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज में है। संस्थान द्वारा 7.3 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलाव:

भारतीय अर्थव्यवस्था में हाल के वर्षों में कई बदलाव हुए हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण बदलाव डिजिटलीकरण है। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना के तहत भारतीय नागरिकों के 50 करोड़ से अधिक जमा खाते विभिन्न बैंकों में खोले गए हैं। इससे भारत में छोटे और सूक्ष्म उद्यमों (MSMEs) तक बैंकिंग सेवाओं की पहुंच बढ़ी है।

भारत में धार्मिक पर्यटन में भी वृद्धि हुई है। वाराणसी, मथुरा, अमृतसर, और अन्य धार्मिक स्थलों पर पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है। इससे होटल, परिवहन, और अन्य संबंधित क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।

भारतीय नागरिक त्योहारों और शादियों जैसे अवसरों पर अधिक पैसा खर्च करते हैं। इससे भी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।

विदेशी वित्तीय संस्थानों के अनुमान गलत क्यों हैं?

विदेशी वित्तीय संस्थान भारत में हो रहे इन बदलावों को समझ नहीं पा रहे हैं। वे केवल पारंपरिक विधि से ही GDP का अनुमान लगा रहे हैं। इस कारण से, उनके अनुमान गलत साबित हो रहे हैं।

निष्कर्ष:

वित्त वर्ष 2023-24 में भारत के GDP में 7 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की संभावना है। विदेशी वित्तीय संस्थानों को भारत में हो रहे बदलावों को समझने की जरूरत है ताकि वे अधिक सटीक अनुमान लगा सकें।

शीर्षक परिवर्तन:

  • शीर्षक को अधिक संक्षिप्त और आकर्षक बनाया गया है।
  • शीर्षक में “नहीं कर पा रहे हैं” को “गलत अनुमान” से बदलकर स्पष्ट किया गया है कि विदेशी वित्तीय संस्थानों के अनुमान गलत क्यों हैं।
  • शीर्षक में “भारतीय आर्थिक विकास दर का अधिकार” को जोड़कर यह स्पष्ट किया गया है कि भारत का आर्थिक विकास दर कितना महत्वपूर्ण है।

अन्य संशोधन:

  • परिचय में, विदेशी वित्तीय संस्थानों के अनुमानों की विस्तृत श्रृंखला को शामिल किया गया है।
  • भारतीय वित्तीय संस्थानों के अनुमानों को अधिक विस्तार से बताया गया है।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलावों का अधिक विस्तार से वर्णन किया गया है।
  • निष्कर्ष में, भारत के आर्थिक विकास दर के बारे में अधिक सटीक अनुमान लगाने के लिए विदेशी वित्तीय संस्थानों के लिए सिफारिशें दी गई हैं।

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